भारत में जब किसी व्यक्ति को जेल भेजा जाता है, तो उसका बुनियादी मानवाधिकार बना रहता है — और इसमें स्वास्थ्य सेवा भी शामिल है। पर क्या वास्तव में जेल में बंद कैदियों को सही इलाज मिल पाता है? आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं।
जेल में बीमार कैदी की हकीकत
भारत की जेलों की वास्तविकता यह है कि वहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद सीमित होती हैं। कई बार कैदी गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते हैं, लेकिन समय पर इलाज न मिलने के कारण उनकी हालत और खराब हो जाती है। यह एक ऐसा विषय है जो हमारे समाज और कानून दोनों पर सवाल उठाता है।
क्या हर कैदी को इलाज का अधिकार है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया है कि जेल में बंद कैदियों को भी सम्मानजनक और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा मिलना उनका मौलिक अधिकार है।
जेल में मेडिकल सुविधा कैसी होती है?
ज्यादातर जेलों में एक छोटा-सा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होता है, जिसमें एक मेडिकल ऑफिसर और कभी-कभी एक कंपाउंडर तैनात होते हैं। गंभीर स्थिति में कैदी को जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में रेफर किया जाता है। लेकिन इसमें अक्सर देरी हो जाती है, जिससे कई बार जान पर बन आती है।
क्या कैदी बाहर के अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं?
अगर किसी कैदी की तबीयत बहुत खराब है और जेल में उसका इलाज संभव नहीं है, तो जेल अधीक्षक मेडिकल बोर्ड से सलाह लेकर अदालत में आवेदन करता है। अदालत स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इलाज की अनुमति देती है। कई बार अदालत खुद मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मेडिकल बेल भी देती है।
मेडिकल बेल कैसे मिलती है?
अगर कोई कैदी गंभीर रूप से बीमार है, तो उसका वकील अदालत में मेडिकल बेल की याचिका दाखिल कर सकता है। इसके साथ मेडिकल रिपोर्ट, डॉक्टर की राय और इलाज की आवश्यकता को प्रमाणित करना जरूरी होता है। अदालत सभी दस्तावेजों की जांच के बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल बेल प्रदान कर सकती है।
मानवाधिकार आयोग और जेल विज़िटिंग बोर्ड की भूमिका
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राज्य मानवाधिकार आयोग समय-समय पर जेलों का निरीक्षण करते हैं। इसके अलावा, जेल विज़िटिंग बोर्ड भी कैदियों की स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा करता है। यदि किसी कैदी की चिकित्सा जरूरतें पूरी नहीं हो रही हों, तो इसकी शिकायत NHRC या अदालत में की जा सकती है।
भारत की जेल प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
भारत की जेल प्रणाली में कई सुधारों की ज़रूरत है। सबसे पहले, हर जेल में एक मिनी हॉस्पिटल की स्थापना होनी चाहिए, ताकि कैदियों को समय पर इलाज मिल सके। इसके अलावा, नियमित मेडिकल चेकअप की व्यवस्था भी अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि किसी भी बीमारी का समय रहते पता चल सके और इलाज शुरू किया जा सके।
साथ ही, जेलों में कार्यरत मेडिकल स्टाफ की संख्या को भी बढ़ाना आवश्यक है। मौजूदा समय में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है, जिससे कैदियों को उचित चिकित्सा नहीं मिल पाती। अंत में, मेडिकल बेल की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाया जाना चाहिए, ताकि बीमार कैदी बिना अनावश्यक देरी के इलाज प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष: कानून है, पर व्यवस्था?
भारत में कानून स्पष्ट है कि हर कैदी को इलाज का अधिकार है। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि कई बार ये अधिकार कागज़ों तक सीमित रह जाता है। जरूरी है कि इस व्यवस्था में सुधार हो ताकि किसी भी कैदी को इलाज से वंचित न रहना पड़े।
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