भारत की जेल व्यवस्था में कैदियों के खानपान को लेकर स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। जेल में बंद कैदियों को बुनियादी पोषण देने के लिए साधारण लेकिन आवश्यक आहार उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि, इसका उद्देश्य सिर्फ पोषण देना होता है, न कि स्वादिष्ट भोजन परोसना। जेल में कैदियों को मिलने वाले खाने का निर्धारण प्रिजन एक्ट, 1894 और विभिन्न राज्यों के जेल मैनुअल के अनुसार किया जाता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और न्यायालयों के निर्देशों के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाता है कि कैदियों को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन मिले।
जेल में खाने का दैनिक मेन्यू
जेल में कैदियों को दिन में तीन बार भोजन दिया जाता है—नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना। हालांकि, यह भोजन साधारण और कम मसाले वाला होता है, ताकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं न हों।
1. नाश्ता (Breakfast)
सुबह का नाश्ता आमतौर पर हल्का होता है और इसे सुबह लगभग 7:00 बजे परोसा जाता है। इसमें चाय और ब्रेड या कभी-कभी दलिया दिया जाता है। कुछ जेलों में कैदियों को मौसमी फल भी मिलते हैं, खासकर विचाराधीन कैदियों को।
2. दोपहर का भोजन (Lunch)
दोपहर का खाना करीब 11:30 से 12:00 बजे के बीच दिया जाता है। इसमें साधारण भोजन परोसा जाता है, जैसे – 4-5 रोटियां, चावल, दाल और एक सब्जी। सब्जी आमतौर पर मौसमी होती है और सीमित मात्रा में दी जाती है।
3. रात का भोजन (Dinner)
शाम को लगभग 5:30 से 6:00 बजे कैदियों को रात का भोजन दिया जाता है। इसमें दोपहर के भोजन जैसा ही खाना होता है—रोटी, दाल और सब्जी। जेलों में रात का भोजन जल्दी परोसा जाता है, क्योंकि इसके बाद बैरकों को बंद कर दिया जाता है।
खाने की गुणवत्ता और मात्रा
जेल में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता बहुत साधारण होती है। कैदियों को मिलने वाला भोजन न्यूनतम पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता अक्सर खराब होती है। दाल और सब्जी अधिकतर पतली होती है, जिससे कैदियों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता। कई बार खाना अधपका या बेस्वाद भी होता है। भोजन की मात्रा भी सीमित होती है, जिससे कैदियों को पेट भर खाना नहीं मिल पाता।
विशेष कैदियों के लिए अलग व्यवस्था
जेल में कुछ विशेष कैदियों को अलग प्रकार का भोजन दिया जाता है।
बीमार कैदियों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार विशेष आहार दिया जाता है, जैसे – हल्का भोजन, दूध या फल।
महिला कैदियों को गर्भावस्था या प्रसव के दौरान अतिरिक्त पोषण दिया जाता है।
VIP या हाई-प्रोफाइल कैदी जिन्हें विशेष सुरक्षा दी जाती है, उन्हें कई बार बेहतर गुणवत्ता वाला खाना मिलता है, लेकिन यह नियम जेल प्रशासन के अधीन होता है।
त्योहारों और विशेष अवसरों पर विशेष भोजन
त्योहारों जैसे होली, दिवाली, ईद या स्वतंत्रता दिवस जैसे अवसरों पर कैदियों को विशेष भोजन दिया जाता है। इन दिनों जेल में मिठाई, हलवा या अन्य विशेष व्यंजन परोसे जाते हैं। कई बार सामाजिक संगठनों या NGO द्वारा भी जेल में विशेष भोजन का आयोजन किया जाता है।
जेल में खाने को लेकर समस्याएं
जेलों में दिए जाने वाले खाने को लेकर कई बार शिकायतें दर्ज की जाती हैं। कैदी अक्सर खाने की खराब गुणवत्ता को लेकर विरोध प्रदर्शन भी करते हैं। कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं:
- भोजन की मात्रा कम होती है, जिससे कैदियों को पेट भर खाना नहीं मिल पाता।
- कई जेलों में भोजन की गुणवत्ता बेहद खराब होती है, जिससे कैदी कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।- सफाई का अभाव रहता है, जिससे भोजन में अशुद्धता पाई जाती है।
- कभी-कभी जेल प्रशासन अनुशासन के नाम पर कैदियों को भोजन में कटौती कर देता है, जो अवैध है।
कैदियों के भोजन को लेकर कानूनी अधिकार
भारत में कैदियों को पौष्टिक और पर्याप्त भोजन मिलना उनका कानूनी अधिकार है। मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि कैदियों के भी मौलिक अधिकार होते हैं, जिनमें सम्मानजनक जीवन और स्वस्थ भोजन शामिल है। यदि किसी जेल में खाने की गुणवत्ता खराब होती है, तो कैदी इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों या न्यायालय में कर सकते हैं।
जेल में कैदियों को मिलने वाला भोजन बहुत साधारण और सीमित होता है। इसका उद्देश्य सिर्फ न्यूनतम पोषण आवश्यकताओं को पूरा करना होता है, न कि स्वाद और विविधता प्रदान करना। बीमार और महिला कैदियों के लिए विशेष व्यवस्था होती है, जबकि त्योहारों पर विशेष भोजन दिया जाता है। हालांकि, भोजन की गुणवत्ता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं और कई बार कैदियों को खराब खाना दिया जाता है। ऐसे में न्यायालय और मानवाधिकार आयोग समय-समय पर जेल प्रशासन को सुधारात्मक निर्देश जारी करता है।
0 टिप्पणियाँ