क्या आपने कभी सोचा है की जिस व्यक्ति को उम्रकैद की सजा हो जाती है, उसे कितने साल तक जेल में रहना पड़ता है | उम्रकैद की सजा का क्या मतलब होता है | क्या उम्रकैद की सजा वाले अपराधी को 14 साल या फिर 20 में छोड़ दिया जाता है | चलिए जानते है -
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Supreme Court of India ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा की ''आजीवन कारावास यानी उम्रकैद की सजा का मतलब 14 साल बिल्कुल भी नहीं है, यह सजा पूरी जिंदगी जेल में काटने की है | अगर अपराधी को 14 साल बाद छोड़ देंगे तो फिर आजीवन कारावास का क्या मतलब रह जायेगा |
आजीवन कारावास और उम्रकैद में क्या अंतर है ?
सजा यानी दंड कुल कितने प्रकार है, इस बारे में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 4 में बताया गया है | जिसमे से आजीवन कारावास भी सजा का एक रूप है | आजीवन कारावास को उर्दू में उम्रकैद और इंग्लिश में Life imprisonment भी कहते है | अगर इसके नाम का मतलब देखे तो इसका मतलब भी यही होता है की जब तक अपराधी जीवित है उसे जेल में ही रहना होगा | तो फिर यह 14 साल व् 20 साल वाली धारणा कहा से आयी है |
भारतीय कानून के मुताबिक जब किसी मांमले में कोर्ट किसी अपराधी को सजा सुना देता है तो, उस कैदी की पूरी जिम्मेद्दारी सबंधित सरकार की बन जाती है | अगर मामला राज्य सरकार का है तो उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है और अगर मामला केंद्र सरकार का है तो उसकी जिम्मेदारी केंद सरकार की होती है | जब तक उस कैदी की सजा चलती है उसकी पूरी जिम्मेदारी सम्बंधित सरकार की ही होती है |
Section 5 - Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 5 के मुताबिक सबंधित सरकार यानी की अगर केंद्र सरकार का मामला है तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार का मामला है तो राज्य सरकार, अगर किसी आजीवन कारावास की सजा वाले व्यक्ति को रिहा करना चाहती है तो वह उसे 14 साल से पहले रिहा कर सकती है | और ऐसा करने के लिए अपराधी को प्रार्थना पत्र देने की भी जरूरत नहीं है | ऐसा सरकार बिना अपराधी की सहमति के भी जब चाहे तब कर सकती है |
Article 72 and 161
भारतीय सविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को और अनुच्छेद 161 में राज्यपाल को यह अधिकार है की वह किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सज़ा को कम कर सकते है, उस पर रोक लगा सकते है और उसे माफ़ भी कर सकते है |
Section 474 - Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 474 अनुसार सरकार आजीवन कारावास की सजा वाले व्यक्ति को 14 साल से पहले छोड़ सकती है यानी की अगर सरकार किसी उम्रकैद के दोषी को रिहा करना चाहती है तो वह उसे 14 साल से पहले कभी भी छोड़ सकती है | ऐसा करने का सरकार के पास अधिकार है | कैदी को रिहा करने के लिए सरकार को उस कैदी की सहमति की भी जरूरत नहीं है यानी की सकरार बिना कैदी की सहमति के ही उसे रिहा कर सकती है |
Section 475 - Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023
लेकिन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 475 के मुताबिक़ अगर किसी अपराध के लिए कानून यह हो की उस अपराध के लिए आजीवन कारावास के अतिरिक्त मृत्युदंड भी दिया जा सकता है | और वहा पर कोर्ट ने अपराधी को मृत्युदंड ना देकर आजीवन कारावास की सजा दी है तो ऐसे मामले में सरकार ऐसी सजा को भी काम तो कर सकती है, लेकिन उसे 14 साल से काम नहीं कर सकती है | यानी की अगर ऐसे अपराधी को सरकार छोड़ना चाहती है जिसे कोर्ट ने मृत्युदंड ना देकर आजीवन कारावास की सजा दी है तो उसे सरकार 14 साल के बाद ही छोड़ सकती है | ऐसे अपराधी को 14 साल का कारावास पूरा होने से पहले नहीं छोड़ा जा सकता है |
आजीवन कारावास 20 साल साल की होती है
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 6 के अनुसार अगर आजीवन करावस की सजा की गणना करनी हो तो उसे 20 साल के बराबर माना जा सकता है | गणना करने की जरूरत तब पड़ती है जब किसी को सजा के साथ में जुर्माना का दंड भी दिया गया हो | लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल भी नहीं है की आजीवन कारावास की सजा 20 साल की ही होती है यह सजा जब तक अपराधी जीवित है तब तक के लिए होती है |